Tuesday, November 15, 2011

क्या माँ बनने का हक सिर्फ ‘अमीरों ’ को हैं ?

विधाता  ने  नारी  को  एक  ऐसा  अद्भुत  वरदान  दिया  हैं , की  वाही  ही  एक  ऐसे  प्राणी  हैं  की  जो  एक  नयी  जान   को  इस  दुनिया  में  लाने  का  स्वभाग्ये  उठाती  हैं . माँ  बनना  एक  ऐसा  स्वभाग्य  हैं , जो  एक  नारी  को  पूर्ण  करता  हैं , और  ऐसे  हे  अद्भुत  अहसास  koजीने  के  लिए  दुनिया  की  हर  एक  महिला  कभी   न  कभी  माँ  बन्नने  का  सपना  जरूर  देखते  हैं .

एक  बच्चे  को  जनम  देना  , एक  साधारण  सी  ही  बात  समझी  जाती  हैं  , मगर  वास्तिविकता  में  यह  एक  ऐसा  मौत  का  कुआ  हैं  , जिसमे  न  जाने  कितने  महिला  हर  दिन  , एक  नन्ही  सी  जान  को  दुनिया  में  लेन  के  खातिर  गवा  देते  हैं .

काफी आसन  लगता  हैं  यह  सब  कुछ  सुनकर  , मगर  तथ्यों  के  अनुसार  पूरे  विश्व  भर  में  हर  साल  529,000 महिलाये  शिशु  को  जन्म  देते  समय  अपनी  जान  गवा  देते  हैं  .इस  तथ्य   में  से  90% महिलाये  विकासशील  देशो  में  से  होती  हैं  .और  उन  देशो  में  से  एक  हैं  हमारा  “भारत” .

भारत  एक  विकासशील  देश  कहलाया  जाता  हैं , और  वो  विकास  भी  कर  रहा  हैं .मगर  ताजूब  होगा  आपको  ,की  विकास   हो  रहा  हैं  उन  भारत  वासियों  के  लिए  जिनके  कदमो  में  मखमली  चादरे  बीछी  हो  ,नहाने  के  लिए  “मिनेरल  वाटर ” हो , और  खाने  के  लिए  शुद्ध  साफ़  “फ़िवे  स्टार ” का  खाना  हो . और  शायद  अब  माँ  बनने  का  खुआब  अब  शायद  “अमीरों ” के  लिए  ही  रह  गया  हैं . 

शायद  अभी  तक  आप  लोग  जान  ही  गए  होंगे  की  में  किसके  बात  कर  रही  हूँ . हाँ  जी  हमारे  भारत  के  अभिनय  करता  अमिताभ  बच्चन   की  पुत्र  वधु  “ऐश्वर्य  राइ ” की  जिनको  इश्वर  ने  माँ  बनने  का  स्वभाग्य  प्रदान  क्या  हैं  .और  स्वभाग्य  ऐसा  की  जो  5 स्टार  होटल  में  अपने  बच्चे  को  जन्म  देंगे  और  बकायेदा  जैसा  की  विभिन्न  मीडिया  के  द्वारा  पता  चला  हैं  की   ऐश्वर्या  को  अस्पताल  में  “स्पा ”, पांच  सितारा  होटल  जैसे  सुविधाए  दी   जायेंगे .  

और  उसके  साथ  अमिताभ  बच्चन   ने  अस्पताल  प्रशासन  को  हिदायत  दी  हैं , की  अस्पताल  की  कड़ी  से  कड़ी  सुरक्षा  की  जाये  और  मोबाइल  जैसे  यंत्रो  को   ,अस्पताल  परिसर  में  प्रतिबंधित  किया  जाये .और  इन  सभी  सेवाओ  को  लागू  करने  में  कितने  लाख  या  फिर  कहे  करोड़  रुपए  खर्च  हुए  हैं  उसका  अनुमान  आप  हे  लगा  सकते  हैं .

सोचकर  ताजूब  होता  की  हमारे  देश  जहा  एक  तरफ  ,कितने  लाखो  लोगो  के  पास  जहा  खाने  को  दोह  वक़्त  की  रोटी  नहीं  हैं  ,रहने  को  चाट  नहीं  हैं  और  स्वस्थ   के  लिए  एक  ही  उम्मीद   हैं  “हमारे  सरकारी  अस्पताल ”.

सरकारी  अस्पताल  जो  कहने  को  एक  ऐसा  स्थान  हैं  जहा  लोगो  की  जान  बचेगे   जाती  हैं  मगर  शायद ,  हमारे  देश  में  जिनके  पास  पैसा  नहीं  ,नाम  नहीं  , और  “जुगाड़ ”  नहीं  उनके  लिए   “अस्पताल ” जान  बच्चाने  के   लिए  नहीं  गवाने  के  लिए  जाना  जाता  हैं  .

हमारे  देश  में  न  जाने  कितनी  महिलो  ने   प्रसव  के  द्वारं  अपनी  जाने  गवई  होगी , की  उसकी  अब  गिनती  भी  नहीं  की  जा  सकती  हैं . सरकारी  अस्पतालों  में  मौत  का  कारण  जयादातर  होता  हैं  ,गंदिगी  होना  जिसके  कारण  संक्रमण  की  ज्यादा  संभावना  होती  हैं  ,खून  का  बहाव   और  अस्पताल  कराम्चारियो  की  लापारवाही , जिससे  की  हमारे  भारत  के  गरीब  एवं माध्यम  वर्गीय  लोग  ही  जानते  हैं  क्योकि  उनको  “पांच  सितारा ” अस्पतालों  का   स्वभाग्य  प्राप्त  नहीं  !

तोह  क्या   इन   सब  चीजों  को  एक  गरीब  आंख  मूँद  कर  सहते  जाए  ,क्योकि  उनके  पास ,  हमारे  अभिनेतायो , मंत्रियो  जैसा  पैसा  नहीं  हैं  की   वो  अपने  बच्चो  के  जनम    के  लिए  एक   पांच  सितारा   अस्पताल  बुक  करा  ले .

और  जब   कोई  रास्ता  नहीं  हो   तो   शायद  माँ  बनने  का  ख्वाब  सिर्फ  अमीरों  के  लिए  चुद  दे ? लगता  तोह  यही  हैं   की  जिस  रफ़्तार  से  प्रसव  के  द्वारान  मरने  वाली  महिलाओ  की  मौत  हो  रही  हैं  , शायद  आने  वाले  समय   में  सिर्फ  अमीर  कौम   ही  बच्चेगे  “जो  माँ   बन्ने का स्वभाग्य उठा  सकती  हैं ”.

और  तब  भी  हमारी  सरकार   अमीरों  की  खिदमत  में  लगी  रहेगे , और  दुसरे  तरफ  एक   गरीब  अह्सहय   महिला  “सिर्फ  माँ  बन्ने का  खुआब  देखते  रहेगे ”.


                                                                                              
मोनिका दुबे 


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